जो बातें दिल कह न सका

जो बातें दिल कह न सका

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 01 Sep, 2021 | 1 min read

जो बातें दिल कह न सका, उसे क़लम ने संजोया है,

ज़ख्मों की स्याही से इसने, उन्हें लफ़्ज़ों में पिरोया है,

हम अपने सारे फ़ैसले, भावनाओं में बहकर लेते रहे,

हमारे इसी रवैए ने ही तो हमें किनारे पर ही डुबोया है,


जब-जब ज़ुबां खुली हमारी, अपने हमसे दूर होते गए,

जो सच था वो कहते गए और रिश्तों से हाथ धोते गए,

तन्हा होने से बेहतर हमने आँखें मूँद लेना सही समझा,

सच्चे दिल पर अपने हम अपनों के झूठ के काँटे बोते गए,


तभी लबों को कर ख़ामोश, अल्फ़ाजों को दवात में भिंगोया है,

जो बातें दिल कह न सका, क़लम ने उन्हें भी पन्नों पर संजोया है।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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