मैं याद आता रहूँगा

मैं याद आता रहूँगा

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 04 Jul, 2022 | 1 min read

तेरा ज़िक्र, हर महफ़िल में दोहराता रहूँगा,

तेरी बेवफ़ाई को शब्दों में पिरो, गाता रहूँगा,


तेरे दिए ये ज़ख्म यूँ भरेंगे तो नहीं आसानी से,

तो तुझे भी अपने दर्द से वाक़िफ़ कराता रहूँगा,


उठेंगे सवाल मेरे आशिक-मिज़ाज लहजे पर भी,

तुझे बेनाम बता मैं, तुझपर इल्ज़ाम लगाता रहूँगा,


बेशक़ तेरे चाहने वाले, तुझे ख़ुदा माने मुहब्बत का,

मैं अतीत तेरा, तुझे आइना हरेक पल दिखाता रहूँगा,


रक़ीब के आगोश में भी भूल न पाओगे “साकेत" को,

मैं हिचकियों के बहाने, तुझे हर घड़ी याद आता रहूँगा।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength


कुछ कठिन शब्द

वाक़िफ़ कराना = परिचय कराना

लहजा = एक खास तरीका या ढंग

रक़ीब = प्रेमिका का दूसरा प्रेमी/ प्रतिद्वंदी


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Saket Ranjan Shukla

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