मैं सिर्फ मेरा ही हुआ करता था कभी,
एक सिर्फ़ मेरी ही सुना करता था कभी,
अब तो कोई भी कुछ भी सुना देता है मुझे,
ताने देने वाले भी खुद चुना करता था कभी,
अब मुस्कुराते हुए सब सह लिया करता हूँ क्यों?
ख़ामोश था, ख़ामोश ही रह लिया करता हूँ क्यों?
मजबूरियां मेरी मैं खुद भी नहीं समझ पा रहा हूँ,
तकलीफें अपनी खुद से कह लिया करता हूँ क्यों?
बुरे हालातों में गैरों से अलग दिखा करता था कभी,
हूँ अब बेगाना सबसे, सिर्फ मेरा हुआ करता था कभी।
BY:— © Saket Ranjan Shukla
IG:— @my_ pen_my_strength
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