नकली मित्रता

बहुत बहुत शुक्रिया दोस्त मेरे, क्या खूब मुझे संभाल रहे हो तुम

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 19 Jun, 2020 | 1 min read
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मेरी गलतियों पर जो बखूबी पर्दा डाल रहे हो,

शुक्रिया मेरे दोस्त, क्या खूब मुझे संभाल रहे हो,

मेरी स्वार्थ से भरी हर जिद, पूरी करने लगे हो तुम,

मेरी ही कीमत देकर, मेरे ख्वाब खरीदने लगे हो तुम,


मैं अकेला चला था सफ़र को, तुम आए, अच्छा लगा,

मुझे मेरे ख्वाबों से भी बेहतर सपने दिखाए, अच्छा लगा,

मगर फ़िर जैसे तुम बदलने भी लगे, मुझे अपने हिसाब से,

मिलाने लगे मेरा किरदार, अपनी कहानी, अपनी किताब से,


मेरे भरोसे के सहारे, ये जो मेरी बर्बादी के बीज पाल रहे हो तुम,

बहुत बहुत शुक्रिया दोस्त मेरे, क्या खूब मुझे संभाल रहे हो तुम।

BY:—© Saket Ranjan Shukla

IG:—@my_pen_my_strength


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Saket Ranjan Shukla

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