समय नहीं रहा

समय नहीं रहा

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 16 Dec, 2021 | 1 min read

कुछ सोचने और समझने का समय नहीं रहा,

लड़ो, मुसीबतों को परखने का समय नहीं रहा,


जीतने के लिए नहीं अब जमे रहने के लिए लड़ो,

तूफ़ानों से डरके, पीछे सड़कने का समय नहीं रहा,


बहुत सुलझा चुके हैं सफ़र को अपने, अभी के लिए,

अब बढ़े चलो, और कहीं उलझने का समय नहीं रहा,


रखो अब अपने अहम् और अभिमान पर काबू थोड़ा,

बात-बे-बात, हर हालात में अकड़ने का समय नहीं रहा,


डगमगाते हैं क़दम फ़िर भी चलना तो होगा ही “साकेत",

समझो, आख़िरी मौका है ये, सँभलने का समय नहीं रहा।

BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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