वो और उसकी कर्मठता

वो और उसकी कर्मठता

Originally published in hi
Reactions 1
307
Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 16 Jul, 2021 | 1 min read
#poetry Life #hindipoetry Reality #love #my_pen_my_strength

उठी अर्थी उसके ख़्वाबों की,

कुछ लोग दिलासा देने आए थे,

चेहरे पर उदासी, मन में ख़ुशी लिए,

शायद उसे झूठा सहारा देने आए थे,


ज़िन्दगी उसकी बिल्कुल ही वीरान हुई,

कुछ बेहया लोग फ़िर भी ताने कसते रहे,

लूट गया आशियाँ, ठिकाना कोई बचा नहीं,

उसके अपने भी उसके हालातों पर हँसते रहे,


मगर हारा न था वो, भले सपने उसके टूट गए,

वो कामयाब होने की अपनी ज़िद पर अड़ गया,

भले उसे बेवकूफ मान, रिश्ते सारे उससे रूठ गए,

ख़ुद को अकेला पाकर भी वो तूफानों से भिड़ गया,


वो अलबेलों के जैसे जीता आया था, अपने सफ़र को,

कमी उसमें जोश की नहीं थी, बस बुद्धि से कमज़ोर था,

बस मन की करता था, फ़िक्र थी ही नहीं उसे जमाने की,

इसीलिए शायद थोड़ा सा बद्तमीज और थोड़ा मुँहजोड़ था,


पहले जब गिरता था वो, उसे कोई न कोई सँभाल लेता था,

मगर इस बार ठोकर के बाद, जो वो सँभल कर खड़ा हुआ है,

एक अलग जुनून है इस दफा उसकी आँखों में मंज़िल के लिए,

अपनी कर्मठता के दम पर वो अपने क़िरदार से भी बड़ा हुआ है,


है अचरज कि इतना सब हो जाने के बाद भी हिम्मत उसमें बाक़ी है,

हैरान वो भी हैं जो उसे मरहम के बहाने, ज़ख्म बेतहाशा देने आए थे,

उन्हीं कुछ लोगों ने उसके ख़्वाबों को टूटने की हद तक आजमाया था,

ये वही लोग थे, जो उसकी तबाही पर उसे झूठा दिलासा देने आए थे।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

1 likes

Published By

Saket Ranjan Shukla

saketranjanshukla

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sonnu Lamba · 2 years ago last edited 2 years ago

    बैहतरीन 👏👏👏

Please Login or Create a free account to comment.