काश! दोतरफा हो प्यार ये

काश! दोतरफा हो प्यार ये

Originally published in hi
Reactions 0
253
Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 01 Mar, 2022 | 1 min read

कब-तक ही और करेगा इंतज़ार ये दिल,

कभी तो, कर ही बैठेगा न इज़हार ये दिल,


माना कि है मोहब्बत हया के पिंजड़े में कैद,

पर कब-तक रख सकेगा ऐसे असरार ये दिल,


हंसता है वो चाँद भी मुझे तुझे निहारते देखकर,

कब-तक भरे ये ठंडी आँहें यूँ ही बार-बार ये दिल,


होती है जलन मेरे सीने में, तेरे आईने को देखकर,

है कोई पुरानी अज़ार या है तेरे लिए बीमार ये दिल,


होठों से चूमकर सँभाले रखें तुमने, खत “साकेत" के,

न कर इक़रार बस ये बता क्या है बेकरार, बेकार ये दिल?

BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

0 likes

Published By

Saket Ranjan Shukla

saketranjanshukla

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.