पूर्ण विराम

पूर्ण विराम

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 31 Jul, 2021 | 1 min read
#poetry Life #hindipoetry #my_pen_my_strength

ख़ुबसूरती से शुरू कर दर्दनाक अंजाम देता हूँ,

अपनी स्याही को भी कहाँ कभी आराम देता हूँ,


लिख लेता हूँ गैरों के गुनाह भी ख़ुद के हिस्से में,

क़लम के थक जाने तक ख़ुदको इल्ज़ाम देता हूँ,


सिर्फ़ मैं क़सूरवार और सब शरीफ़ ही नज़र आएँ,

जज़्बातों के सहारे पंक्तियों को ऐसे आयाम देता हूँ,


ज़ख्म जितने मिले उनको भुला तो पाता नहीं कभी,

फ़िर भी गैरों को शब्दों के सहारे नयनाभिराम देता हूँ,


दर्द को दवा पढ़ें, पढ़ने वाले “साकेत" के अल्फ़ाजों में,

अपने क़िस्सों को मैं कुछ इस तरह से पूर्ण विराम देता हूँ।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength


कुछ कठिन शब्दार्थ??


 अंजाम :— नतीज़ा, परिणाम(Result)
 आयाम :— पक्ष, पहलू (Dimension)
 नयनाभिराम :— आँखो को सुख देने वाला, मनोरम (panoramic)
 पूर्ण विराम :— आख़िरी पड़ाव (Full stop)
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