शायद यही सही होगा

शायद यही सही होगा

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 24 Sep, 2021 | 1 min read

बदला है वक़्त मुझे भी बदलना ही पड़ेगा शायद,

रास्ते नए से हैं, नए ढंग से चलना ही पड़ेगा शायद,


ज़िंदगी भी क़रवटें ले रही है बिना मुझे आगाह किए,

इसके इरादों को भली-भांति परखना ही पड़ेगा शायद,


कर चुका हूँ मैं वादा ख़ुद से, बिना रुके चलते रहने का,

अब तो ठोक़रों के बाद ख़ुद से सँभलना ही पड़ेगा शायद,


उम्मीद तो है कि हरेक मुश्किल का सामना कर पाऊँगा मैं,

फ़िर भी विषमताओं के लिए तो तैयार रहना ही पड़ेगा शायद,


आज़मा चुका है ये ज़माना “साकेत" के सभी तौर-तरीकों को,

नई कहानी लेकर मुझे नए क़िरदार में ढलना ही पड़ेगा शायद।

BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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