Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 05 Sep, 2020
बुढ़ापा
सम्मान जिसे पाना था, वो स्वाभिमान बचाता फिरता है, आसमानी ख्वाब वाला हर रोज अपनी नजर से गिरता है, बुढ़ापे का दोष है या उसकी परवरिश में ही खोट रह गई, आखिर क्यों फिर वृद्धाश्रम में बैठे-बैठे, वो दिन गिनता है..! BY:— © Saket Ranjan Shukla IG:— @my_pen_my_strength

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by saketranjanshukla

05 Sep, 2020

Life

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