Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 21 Nov, 2022
क्या ही कहूँ अब
ख़्वाबों का उठता जनाजा ही है, क्या कहूँ, ग़म जितना भी है, बेतहाशा ही है, क्या कहूँ, हर कोई जो निग़ाहें जमाए बैठा है मुझ ही पर, ये ज़िंदगी अब बन गई तमाशा ही है, क्या कहूँ.! BY:— © Saket Ranjan Shukla IG:— my_pen_my_strength

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by saketranjanshukla

21 Nov, 2022

Life

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