कहना मेरे बेटे से खत में कि...

कहना मेरे बेटे से खत में कि...

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 07 Mar, 2022 | 1 min read

कभी न कभी थकना था, थोड़ा पहले थक जाता हूँ,

तुम आगे बढ़ सको इसलिए मैं अब ही रुक जाता हूँ,


वैसे तो आजतक सारी ही जिम्मेदारियाँ मैंने उठाई हैं,

अब तुम सँभालो काम धंधे सारे, मैं पीछे हट जाता हूँ,


मुझसे इज़ाजत लेने में, शरम न आए कभी और तुम्हें,

तुम्हारी इस ज़िंदगी से, मैं कन्नी की तरह कट जाता हूँ,


मेरी सफ़लता, मैं तुम्हारी थाली में परोसने में लगा रहा,

अब तुम कहलाओ कामयाब, मैं ही गुमनाम बन जाता हूँ,


मेरी ज़रूरतें अधूरी रहीं “साकेत", उसके शौक पालने में,

कहना मेरे बेटे से ख़त में कि तुम ख़ुश रहो मैं सिमट जाता हूँ।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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