सोच

कल क्या होगा

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 27 Dec, 2021 | 0 mins read

कल क्या होगा यही सोच मेरे मन में थी,

विपदा से घिरी दर्द तीव्रतम तन में थी,

चारों ओर था घुप्प घना दिखता अँधेरा,

डरी सहमी सी जीवन के हर क्षण में थी।


समय बीतता गया दर्द मेरा मीत बन गया,

हँसना मुस्कुराना जीवन संगीत बन गया,

दुख की बदली को सोचों से जब हटाया,

पीड़ा का आभास हटा जीना रीत बन गया।


माँ ने मुझको जीवन का सबक सिखाया,

काँटों में भी मैंने जीने का है राह बनाया,

जीवन की मुश्किलों को धता बताकर ही,

मैंने फिर जीवन जीने का अंदाज अपनाया।


माँ ही बनी सदा मेरी प्यारी सखी सहेली,

उसकी चूड़ी साड़ी कंगन से ख़ुशियाँ ले ली,

उसके बदौलत ही आत्मविश्वास है आया,

सुलझाई मैंने हर अनबुझ जीवन पहेली।


जीवन संग सुख दुख चलता ही रहता है,

हँसी भी कभी कभी गलतबयानी करता है,

कल क्या होगा यह सोच जब मेरे मन आती,

आँसू आकर दर्द की निशानी बनता रहता है।

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