गाँव का आनंद

गाँव बहुत याद आता है

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 25 Nov, 2021 | 0 mins read



आज बुलबुल गाँव से शहर आई थी,बालकॉनी में खड़े होकर वह नीचे बच्चों को खेलते हुए देख रही थी।उसका भी मन हो रहा था कि वह नीचे जाकर बच्चों के साथ खेले।गाँव में रहती तो वह अभी तक निकल चुकी होती गली मुहल्ले में बच्चों के साथ खेलने के लिए।पर यहाँ एक तो वह किसी को जानती नही थी दूसरे उसके मम्मी पापा ने उसे सख्त हिदायत दे रखी थी कि वह घर से बाहर न निकले।

आज बहुत शिद्दत से उसे गाँव की याद आ रही थी।

जहाँ दादा दादी के संग वह रहती,चाचा चाची उसके नखरे उठाते।घर में बच्चों की पूरी फौज थी जो संग पढ़ते लिखते खेलते कुदते थे।

उसे आज बहुत शिद्दत से एहसास हो रहा था कि सारा परिवार एक साथ रहने पर कितना अच्छा लगता,संग पढ़ना लिखना खेलना कूदना कितना आनंददायक होता।

शहर में सुविधाएं तो रहती पर अकेलापन खटकता वही गाँव में कम सुविधा होते हुए भी परिवार के साथ उसकी कमी नही खटकती।

वह बालकनी में खड़ी खड़ी कल्पना में गाँव की सैर कर रही थी।और उसके होंठो पर मुस्कान थी।



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