सीख लो

सीख लो

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 07 Oct, 2022 | 1 min read

जीत का जश्न मनाते हो अगर तो

हार को भी अपनाना सीख लो।

खिलखिलाहट प्यारी अगर लगे तो,

आँसूओं का भी साथ निभाना सीख लो।


सीख लो काँटों की चुभन को भी

तुम परमभाव से अपनाना।

फूल की खुशबू अगर प्यारी लगे तो,

उसको तुम सहेज कर बचाना सीख लो।


सीधे सरल राह पर चलते हो अगर,

टेढ़ी मेढ़ी पगडंडियों पर कदम बढ़ाना सीख लो।

प्रेम अगर पाते हो किसी से तो,

नफ़रतों को भी स्वीकारना सीख लो।


कड़ी मेहनत से मंजिल की ओर कदम बढ़ाए

तो कभी सुस्ताना सीख लो।

हौसलों की अभेद्य दीवार बनाते हो अगर तो

गिरे को भी उठाना सीख लो।


खुशियों को राह में कदम अगर बढ़ाये तो,

दुख को भी गले लगाना सीख लो।

चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ आये,

सहज भाव से जीवन बिताना सीख लो।

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