किताबें बनती सच्ची सहेली,
दुख में भी न छोड़े अकेली,
हर मर्ज की दवा बन जाती
वो हैं मेरी अपनी हमजोली।
किताबें गुरु बनकर सिखाती,
कभी माँ की तरह मन बहलाती,
ईश पूजा जैसे करें सभी,
किताबें भी ईश है बन जाती।
किताबों से सीखा हमने जिंदगी,
किताबों से सीखा हमने बंदगी,
किताबें प्यार का हुनर दे जाती,
किताबें पूरी कर दें मेरी हर कमी।
मेरे अलमारियों में सजी वो किताबें,
करती हैं अक्सर अकेलेपन में बातें,
किताबें मेरे दर्द में दवा बन जाती,
कभी वो हँसाती कभी रुलाती।
किताबों में मिलती कुछ कहानियाँ,
बनती है वो जिंदगी की निशानियां,
किताबों के पात्र कभी हम बन जाते,
फिर चलती है जिंदगी की रवानियाँ।
Comments
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👍👍
बेहद खूबसूरत रचना
Shilpi goel thanks
Kumar sandeep thanks
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