तकलीफ़

तकलीफ़

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 04 Jan, 2023 | 1 min read



रिश्तों के बीच अहम को लाकर,

छोटी छोटी बातों का मसला बनाकर,

अलग होने के मोड़ पर जो खड़े हो,

क्या खुश हो तुम चोट दिल में पहुँचाकर।


परस्पर प्रेम और विश्वास की बात बेमानी हुई,

जो होनी न थी वह दर्द भरी कहानी हुई,

आत्मसम्मान को सदा ही चोट पहुँचाकर,

क्या लगता नही की तुमसे नादानी हुई।


अपनी अकड़ में अकड़ते तुम गए,

संभाला था जतन से बिखरते तुम गए,

तकलीफ तो तुमको भी जरूर हुई होगी,

जो रेत की मांनिद रिश्ते फिसलते गए।

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Ruchika Rai

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