लो फिर आ गया दिसंबर,
आशा और निराशा के बीच झूलते मन को
समझाने,
समय हर चीज का कद्र करना सीखा देती है।
समय हर चीज का महत्व बता ही देती है।
कल तक जो धूप लग रही थी तीखी,
कल तक जो सूरज की किरणें चुभ रही थी।
आज वह धूप प्यारी सी लग रही है,
आज वही सूरज की किरणें मन में
जोश भर रही हैं।
लो फिर आ गया दिसंबर,
यह आ गया जतलाने,
क्या किया तूने वर्ष भर,
उसका हिसाब जरा कर लो।
जो अधूरे काम पड़े हैं उनको पूरा कर
इस वर्ष का काम खत्म कर लो।
या फिर दिसंबर यह जतला रहा है,
जो बीत गया समय,
उसका कोई अफ़सोस नही कर।
आने वाले समय के लिए एक सबक नई पढ़।
लो फिर आ गया दिसंबर,
धुंध और कोहरे की चादर में लिपटे हुए
दिन के साथ।
जीवन में होता है कभी कभी
ऐसे ही हालात।
नही सूझता है कोई राह,हर तरफ घनेरी छाँव।
पर उनके बीच से लक्ष्य पर नजर,
मीन दृष्टि,और पारखी नजर
बना देता है राह ,हर मुश्किलों को पार कर।
लो आ गया दिसंबर।
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