सच्ची श्रद्धांजलि

शहीद दिवस

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 28 Jan, 2022 | 1 min read

मंदिरों मस्जिदों गिरिजाघरों गुरुद्वारों

में जिसके पाने की प्रार्थना की।

कही मत्था टेका,कही सजदा किया,

कही मन्नत माँगे, कही आराधना की।

आज देश के लिए सीमा पर वह बेटा

दुश्मन के सामने सीना ताने खड़ा है।

माइनस में तापमान है फिर भी वह

अडिग अटल निडर होकर खड़ा है।

कैसे न कलेजा काँपता होगा माँ का,

जब सरहद पर ठनी होगी लड़ाई।

कैसे न रातों की नींद उड़ी होगी बीबी की,

जब किसी आतंकवादी घटना की खबर आई।

कैसे न वह बहन उस राखी के लिए रोई होगी,

जिसे बाँध वतन की रक्षा हेतु भाई की

की होगी उसने विदाई।

बच्चे तो इस इंतजार में होंगे कि 

पापा अब जब भी आयेंगे

अपने साथ ढेरों खिलौने मिठाई लेकर आएंगे।

वाकई शहीदों की शहादत को भूलना

ये सबसे बड़ा जुर्म है।

जहाँ एक सैनिक एक दिन शहीद होता,

पर परिवार पल पल मरता 

कौन समझेगा शहीदों का ये मर्म है।

दिल से नमन उन शहीदों को 

जो देश के लिए मरें।

दिल से नमन उन जवानों को

जो सीमा पर है तनकर खड़े।

दिल से नमन उन परिवारों को

जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को

देश की रक्षा के लिए है सेना में भेजे।

शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि यही 

हर शहीद और सैनिक के परिवार को

मुहैया हो हर सुविधा।

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