बारिश

बारिश

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 31 May, 2022 | 1 min read

रिमझिम रिमझिम पड़ती है बूँदें जब,

तन मन भींगता है न जाने कैसे कब,

दुख की बदरी भी घेरे आती चहुँओर,

आँसूओं से हो जाये चेहरा तर-बतर।


बरसात की पहली बूँदों का धरा पर आना,

छेड़े मन के तार कोई साथी जैसे अनजाना,

ह्रदय आनंदित हो उठता है हो भाव विह्वल,

जैसे गीत प्रेम के गाये राग वही हो पुराना।


बारिश तन मन को शीतल करती है,

नई चेतना नई उमंग मन में भरती है,

कैसे साज पर छेड़े एक विरह धुन,

प्रियतम से मिलने को आतुर करती है।


खेतों में किसान मदमस्त मगन हैं,

फसलों में हरियाली छाई संग है,

प्यासी धरती की मिटती प्यास है,

लहलहाती फसलें जीवन का रंग है।


ताल तलैया पोखरों में भी बहार है,

बढ़ता जलस्तर जैसे लुटाता प्यार है,

हर तरफ जल ही जल दिख रही,

बारिश के आने से ये रूप बेशुमार है।

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