हिम्मत

हिम्मत

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 18 Dec, 2023 | 1 min read

गिरे अगर तो खुद को तू सम्भाल रे,

मनवा मेरे तू नही कभी हार मान रे।

हार को स्वीकार ये है नही स्वीकार,

तू उठ चल प्रयास पुनः एक बार रे,

मनवा मेरे तू नही कभी हार मान रे।


 नही पता तेरे अंदर कितनी आग है,

उस आग से तू हिमखंड को पिघला सके।

नही पता तेरे बाजुओं में कितना जोर है,

उस जोर से तू पर्वत को भी हिला सके।

मनवा मेरे तू कर प्रयास एक बार रे।


तू चाह और हर असम्भव को सम्भव बना,

तू उठ नामुमकिन को मुमकिन कर दिखा,

तेरे अंदर शक्ति जो है वह पर्याप्त है,

तू पहचान अपने सामर्थ्य को और मुस्कुरा।

मनवा मेरे मायूसी को हटा हर बार रे।


शक्ति सिर्फ बाजुओं में होना ही काफी नही,

विचारों से तू है बलवान यह कर्म से जतला।

हर अँधेरे को तू मन से भगा उजियारा ला,

अपनी सोच की रोशनी से रोशन कर जा।

मनवा मेरे सोए हिम्मत को तू जगा रे,

तू हार को फिर जीत में बदल ये कर जा।

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