रोज डे ऐसे मना

रोज डे की सार्थकता

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 08 Feb, 2022 | 0 mins read

आज सुबह से ही नयना उदास थी,रोज डे की तस्वीरों,कहानियों,कविताओं, से समाचार पत्र से लेकर सोशल साइट्स अटा पडा था।हर कोई प्रेम की खुमारी में डूबा था।जिससे भी बात करो वह अपने जीवन साथी,प्रेमी, प्रेमिका के लिए गुलाब खरीदने में व्यस्त थे।गुलाब के फूलों की बिक्री बढ गयी थी।

पर नयना के ह्रदय में वीरानगी सी छाई थी।उसका अकेलापन उसे चुभ रहा था।शिद्दत से दिल में यह ख्वाहिश पल रही थी कि काश उसके जीवन में कोई ऐसा होता जिसके साथ वह यह प्रेम का उत्सव मनाती,अपने जज्बों को उस पर लुटाती।उसे गुलाब देती ,उससे लेती।मगर जिंदगी के काश कहाँ पूरे होते वह तो दर्द की वजह बनते हैं,मन में एक टीस छोड़ते हैं।

यूँ तो कहने के लिए प्रेम हर रिश्ते में होता पर एक साथी के साथ प्रेम का अंदाज अलग ही होता।

नयना उदास मन से विद्यालय में जाकर पढा रही थी।बच्चों के बीच अपने गम को कम करने की कोशिश कर रही थी।

तभी एक छः वर्षीय लड़का हाथ में गुलाब लेकर आया।मैम आपके लिए..

नयना ने दुहराया ....मेरे लिए?

लड़के ने कहा कि हाँ, मम्मी बोल रही थी कि तुम जिसे सबसे ज्यादा प्यार करते,आज उसे गुलाब देते।

तो मैं अपने बगीचे से आपके लिए ये गुलाब लाया।

मैं आपको सबसे ज्यादा प्यार करता।

नयना की आंखों में आँसू थे।उसने बच्चे को गले लगाया।

सही मायने में रोज डे सार्थक हो गया।

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