खुशी और दुख के क्षणों में निर्विकार रहना,
जरा बताना इतना आसान है क्या?
या फिर उससे आसान है,
जब आना चाहते हो आँसू और तुमने रोक रखा हो..
दोनो ही परिस्थितियाँ कठिनतम है।
ना खुल कर आँसू बहा सकते।
न ही खुशी से नाच सकते
या ना ही दर्द से कराह सकते।
जीवन के साथ दुश्वारियाँ ही चलती हैं।
जब आसान हो तो जिंदगी का कौन सा रंग?
कौन से संगीत की धुन प्रिय है जरा बताना,
उल्लास के क्षणों में गाना मुस्कुराना?
या फिर विषाद के क्षणों में रोना और कलपना?
कठिनतम है बिना स्वीकार किये
किसी भी स्थिति का सामना करना
आह्लादित होना या रोना।
संघर्षरत जीवन में खुशी के दो पल
बिना किसी भय के जी लेना।
यह ज्यादा ही कठिन है।
सशंकित मन का सामान्य रूप से स्वीकारना
यह चरम रूप है कठिनतम का।
हर्ष और विषाद के क्षणों में निर्विकार रहना
यह कठिनतम है...
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प्रेरणादायक रचना
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