मुहब्बत

गजल

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 07 Jun, 2022 | 1 min read

मुहब्बत में पाकीज़गी ही ईमान होता है,

नही तो फिर मुहब्बत बदनाम होता है।


रूह से जुड़ा हुआ रिश्ता है ये मुहब्बत ,

जिस्म का नही इसमें कोई काम होता है।


मिलन की आस नही हो अगर इसमें तो,

फिर नही कभी मुहब्बत नाकाम होता है।


कुसूर दिल का कोई पसंद आ जाये हमें,

आँखों पर बेवजह ही इल्जाम होता है।


लाख छुपा ले चाहतों को अपने हम सदा,

न मालूम कैसे ये यहाँ सरेआम होता है।


आ जाये दिल अगर किसी पर यारों तो,

मुफ़्त में ही दिल का काम तमाम होता है।


भूलना चाहे अगर हम अपनी चाहत को,

नजरों के सामने चेहरा सुबह शाम होता है।

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