आत्मनिर्भर

लघु कथा

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 30 Sep, 2021 | 1 min read



माधुरी की सास ने बड़े गर्व से अपने पड़ोसियों के बीच अपनी रौब झाड़ी और कहा कि हम दकियानूसी सोच वाले नही हमारी बहू घर से बाहर नौकरी के लिए जाती है और वह आत्मनिर्भर है।

पड़ोस की महिलाएँ भी हाँ में हाँ मिलाते हुए बोलीं की सचमुच आप दरियादिल हो।वरना इस गाँव में तो बहुएं मरती भी रहें पर वो घर से बाहर कदम रखकर अस्पताल तक नही जा सकतीं।

माधुरी की सास के चेहरे पर गर्व मिश्रीत तेज था।

तभी माधुरी अपने काम से लौटते हुए हाथ में भारी झोला ,कांधे पर पर्स और पल्लू को दाँत से दबाए हुए आते दिखी।

माधुरी की सास ने कहा कि सारा सामान ले आई उसने कहा -हाँ

रसीद कहाँ है?

माधुरी ने रसीद पकड़ाये।

और बाकी बचे पैसे?

माधुरी ने कहा कि कुछ जरूरी काम थे आफिस में पार्टी थी तो देना पड़ा।

माधुरी की सास ने लगभग चिल्लाते हुए कहा-तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई बिना पूछे देने की?

माधुरी काँपने लगी।

और पड़ोस की औरतें सोच रही थीं अच्छा इस तरह दकियानूसी सोच से बाहर निकला जाता।

और ऐसे है उनकी बहू आत्मनिर्भर।



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Ruchika Rai

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Comments

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  • Surabhi sharma · 2 years ago last edited 2 years ago

    हाँ, अभी भी बहुत जगह ऐसा होता है अच्छी कहानी |

  • Kumar Sandeep · 2 years ago last edited 2 years ago

    शिक्षाप्रद

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