खुद को सँवारना मजबूत बनाना
नही आसान अपेक्षाओं का बोझ उठाना।
निरर्थक प्रश्न, उत्तर के लिए मौन,
सहानुभूति की चाशनी में लिपटे हुए शब्द
संवेदनशीलता का दिखावा
इन सबको को पड़ता है मुँह की खाना।
खुद को सँवारना और मजबूत बनाना
कई आँखों में खटके ,
और दे जाए एक ज़ख्म अनजाना।
जीने का हुनर,सीखना हर पहर
खुद को स्थापित कर
खुद से प्यार कर
खुद को स्वीकार कर
जीवन अगर रण है तो इस रण क्षेत्र में आना
बड़ा मुश्किल है सबका ये स्वीकार पाना।
चुनौतियाँ हजार,
फिर भी मुस्कुराते हुए करना पार,
दर्द कितना भी गहरा हो
उसको हर हाल में करते हुए स्वीकार
मुस्कुराहटों का शृंगार,
बेबाक रवैये का इज़हार
चुभ जाता है कितनी नज़रों में
जीवन जीने का ये ताना बाना।
होंठो पर मुस्कुराहटों का पर्दा
बन जाता है कितने दिल की तकलीफ का
मुजरिम अनजाना।
फिर भी इन सबसे ऊपर उठकर है
जीवन को जीते जाना,
जिंदगानी का यही किस्सा
सबके जीवन का लक्ष्य रहे अपनाना।
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