रंग

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 24 Sep, 2021 | 1 min read

रंग बदलते देख जमाने को यकीन न आया,

रंग बदलता मेरी फ़ितरत को नही है भाया।


दिल को किसी ने देखा चेहरा नही है देखा,

दिल काला भले रहा पर चेहरा गोरा पाया।


न जाने दुनिया की कैसी फ़ितरत है ये यारों,

लाख बुराई हो भले पर चाहिए सुंदर काया।


खुशी के रंग से चेहरा जब सजता तब देखो,

देख के चेहरे को फिर मन बड़ा ही हरषाया।


सांवले रंग की एक अलग ही कशिश होती,

आँखों में बस कर वो दिल में है सदा छाया।


प्यार के रंग का नूर जब बिखरता है यारा,

जैसे लगे मेरे जीवन में है इंद्रधनुषी साया ।


नफ़रतों का रंग जीवन में कभी न है छाये,

इसने दूसरों के साथ अपने घर को जलाया।


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