खतों के जमाने

खत

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 10 Oct, 2023 | 1 min read

बड़ी याद आते हैं मुझको वह जमाने, 

ख़तों में मिलते थे जज्बातों को ठिकाने, 

उडेल देते थे अपनी भावनाओं को उनमें, 

सम्भाल कर रखते थे, दिल को उनसे सुकून मिले अंजाने। 


ख़तों को प्रेम की चाशनी में थे डुबोते, 

शब्दों की प्यारी लड़ियाँ थे उसमें पिरोते, 

परवाह ख्याल दिख जाता था उन ख़तों में, 

भावनाएं नही फिर कभी लगते थे छोटे। 


ख़तों को भेजने में कोई जल्दबाजी नही थी होती, 

खुशियाँ और गम दोनों को वह कभी नही थी खोती, 

ख़तों के इंतजार में बिताते थे हम पल, 

उन पलों में जिंदगी को जिंदगी से मुहब्बत होती थी। 


अब संदेश भेजने के हैं न जाने कितने तरीके, 

पलों में दिल की बात जुबान से निकल दिल तक पहुँचे, 

पर वह रिश्ते की स्थिरता नही उतनी अब है दिखती, 

झट से संदेश पहुँचे और झट से दूर हम होते। 


चलो मिलकर ख़तों के जमाने को हम फिर से लाये, 

एक प्यारी सी चिट्ठी अपनों को इस बार लिख जाएं, 

अपनापन बचाये रखें हम आपस का सदा ही, 

ख़तों को हम उस अपनापन का सदा गवाह बनाएं

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