साथ तुम्हारा

साथ तुम्हारा

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 06 Jun, 2022 | 1 min read

साथ हो गर न तुम्हारा गीत मन गाता नही है,

खुशी से चेहरा कभी खिलखिलाता नही है।


राह की दुश्वारियाँ सताती सदा है,

दर्द दिल से नही लगती यूँ जुदा है,

इम्तिहान जिंदगी के लगते फिदा है,

उम्मीद दिल से कोई मिटाता नही है।


साथ हो गर न तुम्हारा गीत मन गाता नही है,

दिल में खुशियों के फूल कोई खिलाता नही है।


राह के अँधेरों से मन भटकने लगा है,

कोई दिखता नही मुझको अपना सगा है,

जिंदगी ने मानो मुझको हरदम ठगा है,

ख़लिश मन की कोई छिपाता नही है।


साथ हो गर न तुम्हारा गीत मन गाता नही है,

उम्मीद के जुगनू भी दिल में जगमगाता नही है।


खूबसूरत एहसास मन में छुपी है,

सहारों की आस मन को लगी है,

प्रेम है मन में विश्वास फिर जगी है,

धड़कनों को दिल बताता नही है।


साथ हो गर न तुम्हारा गीत मन गाता नही है,

रोशन चेहरे से दर्द दिल की छुपाता नही है।

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