प्रेम

ये बंधन

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 10 Feb, 2022 | 0 mins read

विश्वास की डोरी से बंधा ये बंधन,

कर दें समर्पण सभी अपना तन मन,

हर दिल में अनुराग हो ऐसा की

जैसे भौरें को हो सदा परागकण।


नेह को ज्योति हर दिल में जलाये,

रेगिस्तान में भी जैसे फूल खिलाये,

विश्वास हो एक दूजे पर इतना की,

मन के सारे ही भेद भाव हम मिटाये।


प्रेम का हो अस्तित्व इस धरा पर,

हर रिश्ते में प्रेम दिखे सदा यहाँ पर,

बैर भाव को सब मिटाते रहे सदा ही

दिल आपस में मिले जहाँ पर।


प्रेम जीवन में सदा से हो आत्मबल,

एक दूजे के लिए प्रेम बने सदा संबल,

नही हो एक रिश्ते में प्रेम बस सदा,

हर रिश्ते में प्रेम ही बनता सदा मनोबल।


आओ प्रेम को कुछ ऐसे अमर कर जाएं,

साँसों की डोर से इसे सदा हम मिलाए।

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Ruchika Rai

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