मन का तहखाना

मन का तहखाना

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 19 Sep, 2021 | 0 mins read

मन के तहखाने में उतर कर कभी देखना,

बहुत सारे ख़्वाब टूटे पड़े मिलेंगे

जिनको समेटने की जद्दोजहद भी कठिन होगी

वक्त उसे पीछे छोड़ आगे निकल पड़े होंगे।

मन के तहखाने में एक संदूक ऐसा होगा,

जिसमें कुछ पुरानी बातों के पिटारे होंगे,

कुछ धुँधली तस्वीर भी होंगी,

जिंनके पन्ने पीले पड़ चुके होंगे।

मन के तहखाने में उतर कर कभी देखना,

कुछ बचपन की चंचलता चपलता दिखेगी,

कुछ किशोरावस्था की अल्हड़ता दिखेगी,

कुछ जवानी के अरमान दुबके पड़े होंगे।

मन के तहखाने में उतर कर कभी देखना,

कोई प्यारा सा मीत दिखेगा,

जिससे ही जीवन का संगीत मिलेगा।

एक आईना भी दिखेगा,

जो सारी सच्चाई बयान करेगा।

बस मन के तहखाने में उतर कर कभी देखना,

कितने अनकहे राज मिलेंगे,

जो जुबां पर कभी न सजे होंगे,

बस जीने की वजह देकर,

वक्त के संग वो चल पड़े होंगे

मन के कोने में उतर कर कभी देखना।

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