शुक्रिया किन लफ़्ज़ों में करूँ आपका,
ये जिस्म तो आप सबका कर्जदार है।
ये साँसें भी अगर चल रही ,
ये रूधिर भी अगर दौड़ रहा तन में
ये आप सबका ही प्रयास है।
दर्द तकलीफ जब भी बढ़ी,
माँ पापा की आस आप सब से जुड़ी।
उनकी दृष्टि आप सब तक कई
आपके ज्ञान का ही प्रभाव है,
ये आपके कर्म का प्रमाण है।
रात व्यथा में थी नही कटती,
तन में थी असह्य पीड़ा,
नही कोई हल निकल रहा था,
आपके शरण में आई ,
आपकी जादुई मेहनत का खुशरंग होना
मेरे लिए वरदान है।
दिन रात आपकी अथक मेहनत,
तजुर्बे के लिए कई वर्षों की साधना।
जिससे लोग दूर भागते,
उनके बीच ही रहकर सेवा
ये आप सब का कमाल है।
चौबीस घंटे की लगातार ड्यूटी,
इमरजेंसी में तुरंत हाजिर,
तीज त्योहारों में भी नही छुट्टी,
मित्र रिश्तेदारों के हर वक्त सलाहकार,
आप का ये धैर्य बेमिसाल है।
नही छुआछूत का कोई डर है,
नही संक्रमण की कोई चिंता,
बस एक फिक्र कैसे अधरों पर मुस्कान लौटाए,
कैसे डूबती साँसों को लौटाए,
स्वस्थ जीवन हो सभी का
यह आपका प्रसार है।
शुक्रिया नही लगता है काफी,
आपके इस निःस्वार्थ ,निश्छल कर्म के लिए
धरती पर ईश्वर स्वरूप आप
ईश्वर के दूत हम सबके लिए वरदान है।
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