तर्पण

तर्पण

Originally published in hi
Reactions 0
150
Ruchika Rai
Ruchika Rai 06 Oct, 2023 | 0 mins read

सुबोध अपने मृत माता पिता की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करने के लिए सपरिवार गया जा रहा था।

कहते हैं कि गया जाकर तर्पण करने से पितरों को मुक्ति मिलती है।

उसकी पत्नी सरिता ने कहा कि चलिये आपके साथ ही मैं भी अपने माता पिता का तर्पण कर दूंगी।

मेरा भाई नही है तो क्या हो गया ,मैं भी तो उनकी ही औलाद हूँ।

सुबोध ने कहा कि तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है आज तक सुना है क्या कही की बेटियाँ तर्पण करती हैं।

सरिता ने कहा कि अगर नही सुना है तो अब सुन लेंगे,इसमें कौन सी बड़ी बात है।

तब सुबोध चिल्लाने लगा कि कहाँ से खर्च आएंगे वगैरह वगैरह ।

सरिता की आँखों में आँसू आ गए वह सोचने लगी मैंने तो कभी भेद नही किया फिर ये क्यों?

शायद बचपन से ही उन्हें यह परवरिश मिली है।

सरिता की रोती आत्मा को देखकर बार बार यह सवाल उठ रहे थे क्या सुबोध के माता पिता इस तर्पण से खुश हुए होंगे।

0 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.