कर्मफल बिना मिले कहाँ कभी रह पाता है,
अपनी करनी का हिसाब यही मिल जाता है।
सदा दूसरों के भले के लिए सोचो तुम,
फिर देखो तुम्हारा भला खुद ही हो जाता है।
नेकी के रास्ते पर चल कर तुम कर्म करो,
फिर तुम्हारे कर्मों का हिसाब खुद हो जाता है।
जैसा करोगे वैसा ही पाओगे याद रखो,
कर्मफल कभी गलत नही कोई पाता है।
बबूल के पेड़ पर आम कहाँ मिलता है,
सोचो फिर बुरे कर्मो का अच्छा फल नही मिलता है।
कर्म ही मनुष्य का अधिकार क्षेत्र है,
इससे हटकर फल कैसे मिलता है।
रखो भरोसा पुरुषार्थ पर तुम सदा ही
पुरुषार्थ कभी व्यर्थ को नही जाया होता है।
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