विजय पर्व

विजय यही है

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 28 Oct, 2023 | 1 min read

दुःख-सुख का मन से भेद मिटा दो,

छोटी छोटी खुशियों में तुम मुस्कुरा लो,

छोड़ दो हर उन बातों को जो तकलीफ़ दे,

विजय वही है जो स्वयं को आजमा लो।


सुनो,दर्द मन्दों को अगर दूर हो जाए,

सुनो उदासियों के कोहरे जीवन से छँट पाए,

जरूरतमंदों की जो जरूरत पूरी कर दो,

यही विजय है जो इंसान बनना सिखलाए।


नफ़रतों के काले अँधेरे को दूर कर लो,

प्रेम की सुहानी बारिश से आत्मा तृप्त कर लो,

सूरज की तीक्ष्ण किरणों में उम्मीद जग जाए,

यही विजय है जो दिल को राहत पहुँचाए।


तुम्हारे साथ से कोई जब आश्वस्त हो,

मुश्किलों में भी साथ दो चाहे व्यस्त हो,

मदद के लिए खड़े रहे चाहे कितना पस्त हो,

यही विजय है जो किसी के काम हम आए।


चलो इस विजय पर्व में हम ये प्रण लें,

छल पाखंड से हम बहुत दूर होकर रहें,

सब्र ,सहनशीलता को थामकर अपने दामन,

जीवन के सफर में हम सदा ही बढ़ते चलें।

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