अजनबी

अजनबी की तरह

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 08 Jan, 2022 | 1 min read

हर दिन बीत रहा एक सदी की तरह,

लोग मिलने लगे अजनबी की तरह।


इस मौसम की धूप खिली है आज तो,

चेहरे पर रौनक छाई है हसीं की तरह।


ये कैसी ठंडी बयार है बह रही यारों,

हवाएँ सर्द है दिखती नमी की तरह।


उनका न होना सदा ही खटकता मुझे,

वो हरदम याद आते हैं कमी की तरह।


उसके घर में सेज लगी है खूबसूरत सी,

 मुझे तो प्यारी लगे बिस्तर जमीं की तरह।


दूर से ही निहारती रही हूं सदा उसे मैं,

वो मिल नही पाया मुझे बेबसी की तरह।


अब तो हर हाल में खुश दिखना है उसे,

मेरे रूह पर छाया है बेचैनी की तरह।

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Ruchika Rai

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