धन्य धन्य ये बिहार की वसुधा,
नमन करूँ मैं इस धाम की,
जन्म मेरा हुआ सफल जो
बिहारी कहलाऊँ बड़ी शान से।
विद्यापति निराला फणीश्वरनाथ की भूमि यह,
भिखारी ठाकुर से इसकी पहचान है।
पत्थरों के बीच राह बनाई दशरथ माँझी ने
वह इस पावन भूमि के अभिमान है।
वीर कुँवर सिंह जैसे रणबाँकुरे,
ब्रिटिश सेना के छक्के छुड़वाये।
चंपारण सत्याग्रह शुरू कर गाँधी जी ने,
विश्वपटल पर थे झंडे गड़वाये।
विक्रमशिला और नालंदा विश्वविद्यालय जहाँ
ज्ञान का अकूत भंडार रहा।
गौतम बुद्ध का गया और गुरुगोविन्द सिंह
का पटना साहिब विश्व मे पहचान बना।
वशिष्ठ सिंह जैसे गणितज्ञ रहे जहाँ,
शांति राय जैसे चिकित्सक का नाम यहाँ।
सम्राट अशोक के अशोक चक्र से लेकर
शेरशाह सूरी के ग्रैंडटैंक रोड की पहचान यहाँ।
जानकी की मिथिला नगरी से है पहचान,
आर्यभट्ट रहे जिसका सदा ही सम्मान।
मखाना,सिंदूर,मिट्टी के बर्तन,मनेर के लड्डू,
हाजीपुर का केला, मुजफ्फरपुर के लीची
भागलपुर में मिलता जहाँ सिल्क का सामान।
गंगा की पावन भूमि,या कोशी का शोक कहूँ,
नमन करूँ इस पावन धरा को सदा,
इसके आगे सदैव नतमस्तक रहूँ।
जय जय हो बिहार की भूमि,
जय हो वैशाली गणराज्य की।
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