इश्क़

अंजाम ए इश्क़

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 14 May, 2022 | 1 min read

अंजाम ए इश्क़ कहाँ कौन समझ पाया है,

इश्क़ का नशा जिसके रूह में समाया है।


ख़्वाबों ख्यालों में एक चेहरा होता अक्सर,

जिसके लिए दिल में जज्बात गहराया है।


जिसके खुशी में खुश होने को दिल चाहे,

जिसके दर्द में टीस मन में जगह बनाया है।


बातें या मुलाकातें भले न हो कभी भी,

फिर भी दिल उसका ही सदा होना चाहा है।


उसके परवाह और ख्याल का एक शब्द,

स्वयं को खुशकिस्मत होने का यकीन दिलाया है।


दूरियों में भी मुकम्मल होता है इश्क ऐसे,

यह अंजाम ए इश्क सबको समझ न आया है।


इश्क़ की सलामती की दुआ सदा रहे रब से,

इश्क़ का एहसास ही जिंदगी का सरमाया है।

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