जीवन के पथरीली राहों में भी चलती रही मैं,
समय परिस्थिति के अनुसार ढलती रही मैं,
सभी कहते सबसे जुदा ये मेरी जीने की अदा,
डगमगाये कदम मेरे स्वयं ही संभलती रही मैं।
संवेदनशीलता की स्वयं ही बनी मिसाल हूँ,
जिंदगी की सह रही मैं हर टेढ़ी मेढ़ी चाल हूँ,
सभी कहते सबसे जुदा ये मेरी जीने की अदा,
जीवन रण में स्वयं के लिए मैं स्वयं ही ढाल हूँ।
मुस्कुराहट का परदा दर्द पर सदा लगाया है,
रोती हुई आँखों को मैंने हरदम हँसाया है,
नही दर्द की वजह बनूँ कभी भी किसी के,
इसके लिए स्वयं को मैंने स्वयं सिखाया है।
अपनी पहचान बनाने के लिए सदा प्रयासरत्त,
सीखना चाहती कोई गुण और बनना महारथ,
सबसे जुदा होकर मेरी जीने की सदा अदा है,
नही दिखाना है व्यवहार में कभी बेमुरव्वत।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.