एक बड़े घर के बरामदे में उदास सा बैठा दस वर्षीय मोहन गेट से बाहर खेलते हुए बच्चों को बहुत ही ललचाई दृष्टि से खेलते हुए देख रहा था।
उसका मन हो रहा था कि वह भी जाकर उन बच्चों के साथ खेले।
तभी उसकी मम्मी घर से बाहर निकली,क्यों मोहन यहाँ क्या कर रहा है,जा अंदर जाकर वीडियो गेम खेलो।
मोहन ठुनकते हुए बोला नही मम्मी मुझे नही खेलना वीडियो गेम।मैं गली में उन बच्चों के साथ खेलना चाहता हूँ।
उसकी मम्मी ने लगभग चिल्लाते हुए कहा तू पागल हो गया है,बाहर उन जंगली ,आवारा बच्चों के साथ मिलेगा,जिन्हें न पहनने का ढंग ,न रहने का ढंग।
उनके रहन -सहन को देख रहा वह बिल्कुल हमारी स्तर के नही है।
तभी घर के अंदर से मोहन के दादा दादी बाहर निकलते हैं।
और मोहन की मम्मी को बोलते हैं कि क्या बात कह रही हो बहु ,ये तुम मोहन को क्या सीख दे रही?
बच्चों में भेदभाव करके क्या सीख देना चाहती?
सारे बच्चे समान होते हैं रहन सहन में अंतर करके हमें बच्चों में भेद नही करना चाहिए।
और बच्चे घर के बाहर जाकर आउटडोर गेम खेलते हैं तो उनकी शारीरिक ,मानसिक वृद्धि होती हैं।
वह स्वस्थ होते हैं और शरीर से मजबूत बनते हैं।
ऐसा सुनकर मोहन की मम्मी बोलती है कि आप सही कह रहे,मुझसे गलती हो गयी।
और मोहन को बाहर खेलने जाने की इजाज़त देती हैं।
मोहन खुशी खुशी दौड़ते हुए खेलने चला जाता है।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.