बन्दिशें

बंदिशें

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 04 Aug, 2021 | 0 mins read

बंदिशें, कितनी कठिन सी लगती

जिंदगी के हर रंग में चुपके से आ जाती।

कभी खुशी में आकर उसे चुरा ले जाती,

कभी गम में आकर आँसू छुपा देती।

ये बंदिशें बड़ी ही बेमुरव्वत सी होती,

कभी जिम्दारियों की बड़ी बंदिशें,

हमसे हमारा बचपना छीन लेती।

उम्र से पहले संजीदा कर सदा हमें

चहचहाहट और हँसी छीन लेती।

कभी ये बन्दिशें मित्रवत है हो जाती,

सही गलत का राह हमको दिखाती।

गलत जो राह लगे जीवन की हमें

उस राह पर है नही कभी लेकर है जाती।

बन्दिशें नियमों की कानूनों की सदा ही,

हमें अनुशासन में जीना है सीखाती।

बन्दिशें समाजिक रीतियों मान्यताओं की,

कभी बेवजह है रोड़े अटकाती।

लाख बंदिशें लगे जमाने की,

प्रतिभा की उड़ानों को कहाँ रोक पाती।

पर कतर दे भले ही किसी भी तरह,

पर आसमान को छूने से नही है रोक पाती।

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