आँसू

आँसू

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 21 Nov, 2021 | 0 mins read

बहते हैं जो आँखों से वह बस पानी नही,

उसके पीछे छिपी है यारों कहानी कई।

आँखों से निकलकर वो राज खोलते हैं,

दर्द की छोड़ जाते हैं वो निशानी कई।


वो आँख के कोरों पर आ रुक जाते,

जैसे बात जुबान पर ही आ ठहर जाते,

अनेक गहरी दास्तां है उनमें समाई,

वो बेजुबान दिल के दर्द की दवा बन जाते।


खुशी में आते तो दिल को बहलाते,

दर्द में आते तो राज सारे बतलाते,

आँसू पीर बनकर जब बाहर निकल जाते,

दिल के बोझ को वो कम कर जाते।


आँसू से मन के बोझ सारे धो लें,

कोई अफसोस मन में न कभी घोलें,

बह जाने दें इन आँसूओं को खुलकर,

जमाने की बाड़ से इन्हें न रोक लें।


आँसू जब दिल की जुबान बन जाये,

अनकहे प्रश्नों के जबाब मिल जाये,

चलो इन आँसूओं को हम मिलकर,

अपनी मुस्कान के आगोश में लें लें।

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