पिता

पिता

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 13 Jan, 2022 | 1 min read

पिता को हर उस जगह 

मौजूद पाती हूँ।

जहाँ खुद को कमजोर पाती,

जहाँ कदम लड़खड़ाते,

जहाँ बेचैनी व्यग्रता छटपटाहट

मन में टीस पैदा करते।

लगता है कि उनका होना 

ही है कई मुश्किलों का हल।


जब कभी भावनाओं का 

समग्र तूफान उठता है।

मेरे जड़ को कमजोर करने

की लगातार कोशिश करता।

मेरे रूह को चोटिल करता

मेरे धमनियों में दर्द का

सैलाब जब बहता।

उनका होना ही कई मुश्किलों

का हल होता है।


जब भरी भीड़ में खुद

को तनहा पाती हूँ।

तब उनका मेरे सिर पर हाथ

कड़े अनुशासन के बीच

उनका मेरे ऊपर ध्यान

ख्याल फिक्र और परवाह।

आश्वस्त करता है मुझे

उनका होना ही मेरे वजूद 

के लिए है आत्मबल।

मेरा स्वाभिमान।

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Ruchika Rai

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