हिन्दी है हिंदुस्तान की भाषा,जन जन की पूरी करती अभिलाषा,
हिंदुस्तानियों की यह शान है,हिन्दी हिन्द और प्यारा हिंदुस्तान है।
शब्दकोश इसका समृद्ध है,व्याकरण इसका प्रसिद्ध है।
छंद, रस,अलंकार में इसकी सानी नही,
मुहावरे लोकोक्ति की चलती मनमानी यही।
देश के कोने कोने तक कि कौन कहे,
विदेशों में भी हो रही इसकी पहचान है,
मॉरीशस सूरी त्रिनिदाद में इसका हो रहा प्रसार,
हिन्दी का जन जन तक हो रहा है प्रचार।
कबीर ,तुलसी सुर तक हिन्दी की नही इसकी सानी है,
रामधारी,निराला,महादेवी ,पंत से आगे भी
चली इसकी कहांनी है।
बिहारी के दोहे की क्या बात कही जाय,
कबीर की भी बात लगती बड़ी निराली है।
तुलसीदास सूरदास का गुणगान करें सदा हम,
मलिक मुहम्मद जायसी की भी अलग कहानी है।
काश्मीर से कन्याकुमारी तक बढ़ रही इसकी शान है,
फिर भी क्षेत्रीयता के नारों में घुट रही इसकी जान है।
आओ इसका प्रचार करें इस तरह हम,
जन जन तक यह पहुँचे स्वतः यंत्रवत।
अनुस्वार अनुनासिक चंद्रबिंदु बढ़ा रही इसका मान है,
हिन्दी राष्ट्र समृद्ध का बनेगी असली पहचान है।
देवनागरी लिपि से उदधृत ,आर्यों के संग है यह आई,
रिश्ता बना इसका संस्कृत से यह उसकी ही छत्र छाया पाई।
सहज सरल स्पष्ट शुद्ध यह,भावों के लिए अनूकूल यह,
हम सबका यह मान बढ़ाती,देश का विकास कर जाती।
आओ मिलकर यशोगान करें हम,
जय हिन्दी जय हिन्द जय हिंदुस्तान कहे हम।
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