पर्दा

पर्दा

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 04 Jan, 2024 | 1 min read

दर्द के दरीचे पर मुस्कान का पर्दा,

तकलीफ़ भी हो जाए देखो शर्मिंदा,

उलझाया है सबने इस पर्दे से यारों

सब लगे खुशियों के जहां के बाशिंदा।


पर्दे के अंदर है दिल के राज छुपे,

सब अंदर ही अंदर जीवन कहानी गढ़े,

कौन समझे हकीकत इस जहां की,

सब अपनी उलझन में उलझे पड़े।


हया का पर्दा खूबसूरती बढ़ाये,

मन बार-बार उस ओर खींचा चला जाए,

प्रेम की एक झलक पाकर यारों

पर्दे की ओट में खूबसूरती मुस्कुराए।


ऐब पर पड़े जो पर्दा गलतियाँ छुपाए,

दिलों में छुपे नफ़रत को न दिखाए,

पर्दा बन कर मीत प्रीत निभाये,

पर्दा कभी कभी हमें राह से भटकाये।

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Ruchika Rai

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