मित्रता दिवस

मित्रता

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 01 Aug, 2021 | 0 mins read

लोग आ गया एक दिन मित्रता के नाम पर,

मित्रता की क्या पहचान

इस बात से हूँ अभी तक अंजान।

चाहती हूँ एक मित्र ऐसा जिसे कुछ

कहने से पहले ये सोचना न पड़े कभी।

क्या होगा उसका प्रभाव

किस नजरिये में देखी जाऊँगी।

क्या मैं अपनी बातों से ही परखी जाऊँगी।

चाहती हूँ एक मित्र ऐसा जो समझे मनोव्यथा,

न समझाए मुझे बस चुपचाप सुन ले

क्या है मेरी अवस्था

मेरी बातों को सुन शिकन न आये

समझकर मुझे तुरंत ही न समझाए।

थोड़ा समय दे सोचने विचारने को

फिर मेरी उलझनों का एक सिरा पकड़

मुझको है राह दिखाया।

जब कभी खुद से मैं नाराज हूँ

बात सीधे उस दिल तक पहुँचाये।

मेरे लिए भले न खुद को बदले

मगर मुझको बदलने की जिद वो न कर पाए।

मित्रता दिवस पर चाहती हूँ एक मित्र ऐसा

जिसके घर का साँकल मेरे लिए खुला हो।

कभी भी चाहे दिन हो या रात

उसके फ़ोन का नंबर घुमाऊँ।

हर बार प्रत्युत्तर सकारात्मक मिले,

जो अँधेरी रात में भी रोशनी दे जाये।

कोई पूर्वाग्रह से ग्रस्त न हो,

न ही जमाने की नजर से मुझे देख जाए।

क्या हूँ मैं उसके लिए बस यही पता हो,

दुनिया के लिए कैसी इस नजरिये को न अपनाये

मित्रता की सूची में बहुत ही ऐसे नाम है,

कुछ मेरे संग कुछ दूर दिखते जान है।

पर मेरे ह्रदय में सभी के लिए एक प्यारा स्थान है,

जहाँ प्रेम है उनके लिए न कोई अभिमान है।

पवित्रतम रिश्ता दोस्ती का अबाध गति से चले,

नही कोई इसमें विराम है।

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