बहते आँसू बिकती साँसें

बहते आँसू बिकती साँसें

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 19 May, 2021 | 0 mins read



संकट बड़ा ही गहराया है,

मुसीबत सिर पर आया है,

न कोई रास्ता सूझ रहा है,

दर्द ने बड़ा शोर मचाया है।


न कोई अपना साथ दिख रहा,

प्राण वायु है अब बिक रहा,

क्रंदन चारों तरफ हावी है,

आँखों से आँसू है बह रहा।


तमस घना काला छाया है,

प्रकाश नजर नही आया है,

उहापोह में डूबता है मन,

ईश्वर को नही तरस आया है।


प्राणवायु के लिए तबाही है,

ये संकट हम पर घिर आई है,

यह हमारे कर्मो का ही फल ,

जो हर आँखों में आँसू आई है।


वायु खरीदने के लिए ये कतार,

ये कैसी जंग नही हम तैयार,

आँसू हर उन आँखों में दिखती,

जिंनके घर कोई है बीमार।


अब बस प्रभु ये कृपा दिखा,

प्राणवायु रक्षा का सबक सीखा,

न आँसू किसी आँख में बहे,

बस किस्मत में कुछ और लिखा।



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