शब्दों की खेती

शब्दों की खेती

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 17 Aug, 2021 | 1 min read



भावनाओं के जमीन पर,

शब्दों के है बीज लगाये।

हो कुछ सुकून के फसल तैयार,

ये आस मन में है बिठाये।

शब्दों की खेती से फसल ऐसी तैयार हो,

प्रेरणा बन वह जीवन की,

डूबते को सदा पार लगाये।

कभी अँधेरे में जुगनू बन,

रोशनी की एक किरण बन जाये।

या फिर अनसुलझे प्रश्नों को सुलझाने का

एक मार्ग दिखाये।

शब्दों की खेती से फसल उगे ऐसी

जो डूबते हौसलों में

उत्साह का संचार कर जाये।

शब्दों की खेती हो ऐसी,

जो उदास आँखों में भी एक चमक दे जाये ।

रोते को हँसने का हुनर देकर

सुखद क्षणों में हमें लौटा आये।

भावनाओं के जमीन पर मैंने शब्दों के बीज लगाये।

पल्लवित कुसुमित होकर जीने की वजह दे जाए।

निराशा के घने गह्वर से निकाल कर,

अरमानों को पंख लगाये।

शब्दों की खेती हो ऐसी की ज़ख्म को 

नासूर न बनने दें।

मरहम बन ज़ख्म मिटाये।

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Ruchika Rai

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