गुरु

गुरु

Originally published in hi
Reactions 0
190
Ruchika Rai
Ruchika Rai 05 Sep, 2022 | 1 min read

गुरू ही मेरे मार्गदर्शक ,मेरे भाग्य विधाता,

उनका ही दिया ज्ञान जो आज मुझे आता,

हर कठिन प्रश्नों को उन्होंने है सुलझाया,

उनके ऋण से कहाँ उऋण कोई हो पाता।


टेढ़ी मेढ़ी जीवन में प्रगति की जब लगे राहें,

पार करवाया उन्होंने मुझे पकड़ के बाँहें,

उनके कारण ही स्वावलंबन का गुर सीखे,

उनका सान्निध्य और कृपा दिल रोज चाहे।


सही गलत का सारा भेद उन्होंने है बतलाया,

सफलता का मंत्र उन्होंने हमको है समझाया,

जीवन में मुसीबतों का हिम्मत से करूँ सामना,

ये सबक उन्होंने सदा ही मुझे है सिखलाया।


अक्षर ज्ञान से लेकर जीवन ज्ञान उनसे सीखा,

देश दुनिया की भी जानकारी लगे ज्ञान सरीखा,

विज्ञान गणित योग आध्यात्म सबसे हुआ परिचय,

उनसा ज्ञानी मुझे नही कोई और कभी दिखा।

0 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.