यात्रा

जीवन यात्रा

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 11 Nov, 2022 | 0 mins read

जीवनरूपी यात्रा के अनेकों पड़ाव हैं,

सुख दुख की तेज धूप और छाँव हैं,

चलते राह बिना थके सदा ही लक्ष्य को,

रुके वहीं जहाँ अपनेपन की ठाँव है।


जीवन रूपी यात्रा जन्म के संग शुरू होती,

खुशी और गम दोनों ही संग वह जुड़ी होती,

बढ़ें सदा बढ़ते रहे इस यात्रा में सदा हम,

मृत्यु के संग ही यह यात्रा सदा खत्म होती।


प्रेम और अपनापन जो इस यात्रा में मिले,

विश्वास और भरोसा संग इसमें हम बढ़ें,

कदम लड़खड़ाये मगर संभाले सदा ही,

ईर्ष्या द्वेष को दूर करें इस यात्रा को खत्म करें।


फूल भी इस यात्रा में मिल इसे सुखद करे,

काँटों की कसक भी इस यात्रा में चुभे,

पर आगे बढ़ें निरंतर हम समभाव संग,

तभी यह यात्रा सफल और सुखद बनकर रहें।


जीवन रूपी यात्रा की मंजिल तक इंतजार है,

वर्तमान की सुदृढ नींव पर मंज़िल तैयार है।

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